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मेरी कलम

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किसान और उसका बैल / मेरी कलम

एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर-ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा…

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संगठन की शक्ति / मेरी कलम

एक आदमी था, जो हमेशा अपने संगठन में सक्रिय रहता था, उसको सभी जानते थे ,बड़ा मान सम्मान मिलता था; अचानक किसी कारण वश वह…

भारत की धरती… / बासुदेव अग्रवाल

भारत की धरती, दुख सब हरती,हर्षित करती, प्यारी है।ये सब की थाती, हमें सुहाती,हृदय लुभाती, न्यारी है।।ऊँचा रख कर सर, हृदय न डर धर,बसा सुखी…

सरहदी मधुशाला… / बासुदेव अग्रवाल

रख नापाक इरादे उसने, सरहद करदी मधुशाला।रोज करे वह टुच्ची हरकत, नफरत की पी कर हाला।उठो देश के मतवालों तुम, काली बन खप्पर लेके।भर भर…

खेत और खलिहान… / बासुदेव अग्रवाल

गाँवों में हैं प्राण हमारे, दें इनको सम्मान।भारत की पहचान सदा से, खेत और खलिहान।। गाँवों की जीवन-शैली के, खेत रहे सोपान।अर्थ व्यवस्था के पोषक…